kya hai kitabe – क्या हैं किताबें – hindi poetry
kya hai kitabe – क्या हैं किताबें – hindi poetry – rahulrahi.com बेज़ुबाँ किताबों का, दायरा कुछ और है,रास्ता कुछ और है,फ़लसफ़ा कुछ और है। बोलती हैं कुछ नहीं,मौन में विलीन सी,शब्द हैं भरे पड़े,फिर भी शब्दहीन सी,साथ लेके चलती हैं,ज्ञान का प्रवाह सतत,योगीयों की वाणी सा,लाभ है सदा प्रकट,हैं जहाँ वहाँ हैं ख़ुश,कोई भी…